सुबह का अच्छा शुरुआत बच्चों को दिनभर के मूड, एनर्जी और एकाग्रता बनाए रखतीं है। जिस तरह माता पिता अपने दिन की प्लानिंग सुबह उठकर ही कर लेते है,
उसी तरह बच्चों को भी एक हेल्दी मॉर्निंग रूटीन बनाकर देने की जरूरत होती है। लेकिन कई बार माता-पिता की छोटी गलतियाँ या लापरवाही बच्चों का दिनभर बिगाड़ देती है।
यहां, हम उन 5 कार्यों के बारे में बात करेंगे जो बच्चों को सुबह भूलकर भी नहीं करने देना चाहिए। साथ ही, जानेंगे कि कैसे एक अच्छी रूटीन बच्चे का दिन और पढ़ाई बेहतर बना सकता है। और जीवन में सफलता पा सकता है।
विषय सूची
1.सुबह उठते ही बच्चों को मोबाइल या टीवी नहीं चलाने दें।
2.सुबह बच्चों को बिस्तर पर आलस ना करने दें।
3.सुबह का नाश्ता स्किप करने की आदत नही डालें।
4.बच्चों को जल्दबाजी में स्कूल भेजने से बचें।
5.सुबह बच्चों को डांट से शुरुआत नाही करें।
1.सुबह उठते ही बच्चों को मोबाइल या टीवी नहीं चलाने दें।

यह बच्चों के लिए क्यों खतरनाक है?
आजकल बच्चों के लिए सुबह उठते ही टीवी और मोबाइल जरूरी हो गया है लेकिन बच्चों को ये बात पता ही नहीं है कि सुबह उठकर मोबाइल देखना कितना ख़तरनाक है।
- सुबह मोबाइल देखने से स्क्रीन कि नीली रोशनी (Blue Light) आँखों की नसों तक जाकर नुकसान पहुँचाती है, जिससे सिरदर्द होता है।
- उसकी दिमागी एकाग्रता कम हो जाती है। कार्टून या गेम्स से दिमाग उत्तेजित हो जाता है और पढ़ाई में बच्चों का मन नहीं लगता है।
- माता पिता का टिप: जिस तरह एक माता और पिता सुबह सबसे पहले अपने गोल्स पर फोकस करते है, उसी प्रकार बच्चे को भी दिन की प्लानिंग करवाएं।
कैसे करें?
- सुबह का रूटीन में बुक रीडिंग या योगा को जरूर शामिल करें।
- “नो स्क्रीन अवर” नियम बनाएँ (सुबह उठने के 1 घंटे तक कोई गैजेट नहीं)।
2.सुबह का नाश्ता स्किप करने की आदत नही डालें। या जंक फूड खाना।
क्यों सुबह का नाश्ता नहीं करना, खराब है?
- सुबह बच्चों का एनर्जी लेवल कम रहता है: खाली पेट से बच्चे चिड़चिड़े हो जाते हैं और पढ़ाई में ध्यान नहीं लगा पाते है।
- सुबह का नाश्ता नहीं करने से बच्चों का मेमोरी कमजोर हो जाता है। ब्रेन को ग्लूकोज न मिलने पर याददाश्त प्रभावित हो जाती है। बहुत बार ऐसा देखा गया है कि बच्चों को माता पिता जंक फूड दें देते हैं जो बिल्कुल ही गलत है जंक फूड से बच्चों के सेहत पर बहुत बुरा असर पड़ता है।
- माता पिता के लिए टिप: जैसे एक माता पिता अपने दिन की शुरुआत हेल्दी ब्रेकफास्ट से करते है, बच्चे को भी घर का प्रोटीन और फाइबर युक्त नाश्ता दें।
क्या करें?
- पोहा, उपमा, अंडा, या ओट्स जैसे हेल्दी ऑप्शन्स बच्चों को दें।
- बच्चे के साथ बैठकर नाश्ता करें ताकि उसकी भी आदत बने।
3.बच्चों को जल्दबाजी में स्कूल भेजने से बचें।
- बच्चों को सुबह जल्दबाजी में स्कूल नहीं भेजें इससे तनाव बढ़ता है: स्कूल के लिए देर होने के डर से बच्चा बिना तैयारी के ही भागता है, जिससे उसे पढ़ने में मन नहीं लगता।
- बिना ब्रश किए या टॉयलेट जाए बाहर भागने से पेट खराब हो सकता है। इसपर हमेशा अपने बच्चों पर ध्यान देना चाहिए।
- माता पिता के लिए टिप: एक पेरेंट्स की तरह टाइम मैनेजमेंट सिखाएँ। रात को बैग तैयार करना और अलार्म लगाना बच्चों को सिखाएँ।
क्या करें?
- बच्चों को कहें कि सुबह की तैयारी रात में ही शुरू कर दें और (यूनिफॉर्म, टिफिन पैक करना)।
- बच्चों को स्कूल जाने से 1 घंटा पहले उठने की आदत डालें।
4.सुबह बच्चों को डांट से शुरुआत नही करें।

-माता पिता बच्चों को सुबह नहीं डांटना चाहिए इससे बच्चे के दिमाग में यह घर कर जाती है, जिससे उसे मानसिक तनाव हो जाती है और वह क्लास में भी चिंतित रहता है।
- आत्मविश्वास कम होना: बार-बार डांट से बच्चा खुद को कमजोर समझने लगता है। दरअसल सुबह की शुरुआत पोजेटिव होना चाहिए जिससे बच्चों को दिनभर अच्छा महसूस हो उसको प्यार से उठाए ताकि उसका दिनभर पढ़ाई में मन लगा रहे नहीं तो बच्चा दिनभर उदास रहेगा और चिड़चिड़ा हो जायेगा।
- माता पिता के लिए टिप: माता पिता को बच्चों को हमेशा प्रोत्साहित करना चाहिए , बच्चे को सुबह उठकर पॉजिटिव बातें कहें। कभी भी डांटना नहीं चाहिए।
क्या करें?
- सुबह उठते ही बच्चे को गले लगाएँ, प्यार करें और उसकी तारीफ करें।
- अगर बच्चों से कोई गलती हुई है, तो उसे शाम को डिस्कस करें।
5.सुबह बच्चों को बिस्तर पर आलस ना करने दें।
- बिस्तर पर आलस करने से शरीर में सुस्ती देर तक बनी रहती है,लेटे रहने से ब्लड सर्कुलेशन धीमा हो जाता है।
- इससे टाइम मैनेजमेंट खराब हो जाता है स्कूल के बाद की एक्टिविटीज और होमवर्क का टाइम नहीं मिल पाता। बिस्तर पर लेटे रहने से आलस लेवल बढ़ता बच्चों में एनर्जी लेवल कम हो जाता है जिससे दिनभर शरीर में सुस्ती बनी रहती है इस आदत से उसकी पढ़ाई, और क्रिएटिविटी पर असर पड़ता है। बच्चों को सुबह उठते ही उसे मोटिवेट करें साथ ही योग और व्यायाम कराएं।
- माता पिता के लिए टिप: एक सफल पेरेंट्स की तरह बच्चे को सुबह एक्टिव रहना सिखाएँ।
क्या करें?
- बच्चे को सुबह 10 मिनट की स्ट्रेचिंग या डांस करवाएँ।
- उसके बेड के पास अलार्म घड़ी रखें ताकि वह खुद उठे।
बच्चे का दिनभर का प्लान बनाएं ,इस टाइम टेबल को फॉलो भी कर सकते हैं।

समय | क्रियाएँ |
---|---|
6:00 AM | उठना, बिस्तर सही करना |
6:10 AM | ब्रश और फ्रेश होना |
6:30 AM | 15 मिनट योगा या एक्सरसाइज |
6:45 AM | हेल्दी नाश्ता |
7:15 AM | स्कूल की तैयारी (बैग, यूनिफॉर्म) |
7:30 AM | फ्री टाइम (किताब पढ़ना या खेलना) |
8:00 AM | स्कूल के लिए निकलना |
Q.बच्चा सुबह नहीं उठता, क्या करें?
Ans.बच्चे को समय पर सुलाना यह पेरेंट्स का सबसे पहला कदम है ताकि उसकी नींद पूरी हो सके।
रात में स्क्रीन टाइम कम करें और सोने से पहले घर का माहौल शांत बनाएं। सुबह उठने को मज़ेदार बनाएं—जैसे मनपसंद नाश्ता या कहानी सुनाने का वादा।
धीरे-धीरे अलार्म का इस्तेमाल करें और उसे खुद उठने की ज़िम्मेदारी दें। अगर आदत न बदले, तो उसके साथ बैठकर दिनचर्या की चर्चा करें और उसका सहयोग लें।
Q.बच्चे को नाश्ता नहीं अच्छा लगता?
Ans.बच्चे को नाश्ता पसंद नहीं आता है तो ज़बरदस्ती करने की जगह उसकी पसंद को समझने की कोशिश करें।
रोज़ वही चीज़ देने से भी बच्चे बोर हो जाते हैं, इसलिए थोड़ी-थोड़ी वैरायटी लाएँ। नाश्ते को रंग-बिरंगे और मज़ेदार तरीके से सजाएँ,
जैसे स्माइली बनाकर या उसका पसंदीदा कार्टून शेप देकर। अगर वो खुद खाने की तैयारी में थोड़ा-बहुत हाथ बंटाए, तो खाने में ज़्यादा दिलचस्पी लेता है।
साथ बैठकर आराम से नाश्ता करें—बच्चा माहौल से भी बहुत कुछ सीखता है।
Q. सुबह बच्चे को कौन-सी एक्सरसाइज कराएँ?
Ans.सुबह बच्चे को हल्की-फुल्की स्ट्रेचिंग से दिन की शुरुआत करानी चाहिए, जिससे उसका शरीर एक्टिव हो जाए।
उसके बाद जंपिंग जैक, स्पॉट रनिंग या स्किपिंग जैसी मज़ेदार एक्सरसाइज कराएँ, जो उसे खेल जैसा लगे।
योग की कुछ आसान मुद्राएँ जैसे ताड़ासन और भुजंगासन भी करवा सकते हैं, इससे उसकी एकाग्रता और लचीलापन बढ़ेगा।
डांस या म्यूज़िक के साथ थोड़़ी मस्ती भरी मूवमेंट्स एक्सरसाइज को उबाऊ नहीं बनने देतीं। सबसे ज़रूरी बात ये है कि एक्सरसाइज मज़ेदार लगे, ताकि बच्चा रोज़ करना चाहे।
Q.क्या सुबह पढ़ाई करवाना ठीक है?
Ans.सुबह पढ़ाई करवाना बिल्कुल ठीक है क्योंकि उस समय दिमाग सबसे ज़्यादा तरोताज़ा और शांत होता है।
नींद के बाद मन एकदम साफ़ होता है, जिससे नई चीज़ें जल्दी समझ में आती हैं और याद भी ज़्यादा रहती हैं।
सुबह का समय distractions से भी भरा नहीं होता, इसलिए फोकस बना रहता है।
अगर पढ़ाई के साथ हल्का-फुल्का रिवीजन या कहानी जैसी चीज़ें जोड़ दी जाएँ, तो बच्चा बोर भी नहीं होता।
सबसे अहम बात ये है कि सुबह की पढ़ाई की आदत बच्चे में अनुशासन और नियमितता भी लाती है
Q. बच्चा सुबह झगड़ा क्यों करता है?
Ans. सुबह बच्चा झगड़ा इसलिए करता है क्योंकि उसका मन अचानक नींद से उठकर दिन की भागदौड़ में आने को तैयार नहीं होता।
अगर रात की नींद पूरी नहीं होती या सुबह का माहौल बहुत हड़बड़ाहट भरा होता है, तो उसका मूड चिड़चिड़ा हो जाता है। कभी-कभी उसे यह महसूस होता है
कि उसकी मर्ज़ी के बिना सब कुछ हो रहा है, जिससे वह विरोध करता है। अगर सुबह का समय प्यार और धैर्य से शुरू किया जाए, तो उसका बर्ताव भी बदल सकता है।
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