कोविड-19 महामारी के बाद ऑनलाइन क्लास ने दुनिया भर में शिक्षा के तरीके को हमेशा के लिए बदल दिया।
किताबें, कॉपियां, और ब्लैकबोर्ड की जगह अब लैपटॉप, टैबलेट, और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स ने ले ली है।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि “डिजिटल क्लासरूम” से बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर कितना गहरा असर पड़ रहा है?
एक तरफ जहाँ ऑनलाइन क्लास ने शिक्षा को जारी रखने में मदद की, वहीं दूसरी तरफ इसने बच्चों में चिंता, अकेलापन, और नींद की समस्याएं भी बढ़ाई हैं। हम विस्तार से समझेंगे कि ऑनलाइन पढ़ाई बच्चों के दिमाग और भावनाओं को कैसे प्रभावित कर रही है, और इसके समाधान क्या हैं।
ऑनलाइन क्लास के 5 मानसिक प्रभाव ।

1.ऑनलाइन टाइम का बोझ: “आँखों पर हमेशा तनाव चढ़ा रहता है”
- WHO की गाइडलाइन समझें तो : 5-17 साल के बच्चों को दिन में 2 घंटे से ज्यादा स्क्रीन पर टाइम नहीं देना चाहिए।
- लेकिन हकीकत है कि : ऑनलाइन क्लास, होमवर्क, और एंटरटेनमेंट के चलते बच्चे 6-8 घंटे/दिन ऑनलाइन बिता रहे हैं।
- इसका प्रभाव:
- आँखों में जलन और सिरदर्द।
- नींद का खराब होना
- मोटापा और शारीरिक सुस्ती।
2.सामाजिक अलगाव: “दोस्तों से दूरी बनाना, अकेलापन”
- एक सर्वे के नतीजे: NCERT की 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, 27% बच्चोंने ऑनलाइन क्लासेज में अकेलापन महसूस किया।
- प्रभाव:
- पर्सनल इंटरैक्शन की कमी से सोशल स्किल्स कमजोर हो जाती है।
- भावनात्मक समर्थन के अभाव में एंग्जाइटी या डिप्रेशन हो जाना।
3.शैक्षणिक दबाव: जैसे ही”कैमरा ऑन, प्रेशर ऑन हो जाता है!”
- कॉन्स्टेंट सर्विलांस: बच्चे कैमरे के सामने बैठने से, बार-बार प्रश्नों के जवाब देने से, और “एटेंडेंस” से डर में रहते हैं।
- प्रभाव:
- पढ़ाई का डर से आत्मविश्वास में कमी हो जाती है।
- “परफेक्शन प्रेशर” से मानसिक थकान मे रहने लगता है।
4.फिजिकल एक्टिविटी में कमी: “चलना-फिरना जैसे गया भूल”गया है।
- रिसर्च: जर्नल ऑफ पीडियाट्रिक्स के अनुसार, ऑनलाइन क्लास के दौरान बच्चों की शारीरिक गतिविधियाँ 50% तक घट गईं।
- प्रभाव:
- मोटापा और हड्डियों में कमजोरी आ जाती है।
- शारीरिक ऊर्जा न निकलने से चिड़चिड़ापन रहता है।
5.पारिवारिक तनाव: “माँ-बाप टीचर, बच्चे स्टूडेंट” से हमेशा तनाव में रहता है।
- उदाहरण: पेरेंट्स का बच्चे की पढ़ाई में अत्यधिक दखल देने से होता है।
- प्रभाव:
- बच्चे में विद्रोही व्यवहार आ जाता है।
- पारिवारिक झगड़े और रिश्तों में खटास होने लगती है।
ऑनलाइन एजुकेशन के 3 फायदे।

- लचीलापन: बीमार होने या यात्रा के दौरान भी क्लास अटेंड कर सकता है।
- एक्सेसिबिलिटी: ग्रामीण इलाकों के बच्चों भी अच्छे शिक्षकों तक पहुँच सकते हैॅ।
- सेल्फ-पेस्ड लर्निंग: रिकॉर्डेड लेक्चर को बार-बार देखकर समझते हैं ।
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मानसिक स्वास्थ्य से बचाने के 10 समाधान।
- “20-20-20 रूल” अपनाएँ।
- हर 20 मिनट के बाद 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर देखें।
- आँखों के व्यायाम करें: गोल-गोल घुमाएँ, पलकें झपकाएँ।
- ब्रेक टाइम दें।
- 45 मिनट की क्लास के बाद 15 मिनट का ब्रेक जरूर दें।
- ब्रेक में गेम्स खेलें: स्किपिंग, डांस, या योग करें।
- सोशल इंटरैक्शन को बढ़ावा दें।
- स्कूल “वर्चुअल रिक्रिएशनल एक्टिविटीज” आयोजित करे: ऑनलाइन गेम्स, ग्रुप डिस्कशन करवाएं।
- पेरेंट्स बच्चों को पार्क या दोस्तों से मिलवाएं ।
- माइंडफुलनेस प्रैक्टिस।
- बच्चों को सांस का व्यायाम सिखाएँ: 5 सेकंड सांस लें, 5 सेकंड रोकें, 5 सेकंड छोड़ें।
- बेडटाइम में स्टोरी या मेडिटेशन ऐप्स (जैसे Calm) का इस्तेमाल करें।
- पेरेंट्स-टीचर्स की साझेदारी करें।
- शिक्षक क्लास को इंटरएक्टिव बनाएँ: क्विज़, डिबेट्स, प्रोजेक्ट्स आदि का प्रेक्टिस करवाएं।
- पेरेंट्स टीचर्स से नियमित फीडबैक लेते रहे कि बच्चे में क्या
प्रोग्रेस है।
- डिजिटल डिटॉक्स डे।
- हफ्ते में एक दिन स्क्रीन-फ्री रखें: बोर्ड गेम्स, क्राफ्टिंग, या बागवानी करें।
- फिजिकल एक्टिविटीज को रूटीन में शामिल करें।
- सुबह एक्सरसाइज: साइकिलिंग, जॉगिंग, या जुम्बा करवाएं।
- शाम को फैमिली वॉक: बातचीत के साथ हल्की एक्सरसाइज भी कर सकते हैं।
- इमोशनल सपोर्ट सिस्टम दें।
- बच्चे से पूछें: “आज तुम कैसा महसूस कर रहे हो?” उसे अकेला नहीं छोड़े बात करते रहे।
- उसकी भावनाओं को नजरअंदाज न करें, चाहे वे नकारात्मक ही क्यों न हों
- टेक्नोलॉजी को स्मार्टली यूज करें।
- पेरेंटल कंट्रोल ऐप्स: स्क्रीन टाइम लिमिट को सेट करें ।
- एजुकेशनल ऐप्स: BYJU’S, Khan Academy, और Toppr जैसे प्लेटफॉर्म्स को युज करे।
- प्रोफेशनल से हेल्प लें।
- अगर बच्चा लगातार उदास रहता है, चिड़चिड़ा हो गया है, या पढ़ाई में मन नहीं लगा रहा, तो चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट से सलाह जरूर लें।
FAQ: ऑनलाइन क्लासेज और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े सवाल।
Q1. बच्चा ऑनलाइन क्लासेज से बोर क्यों होता है?
Ans. बच्चों को एक ही जगह पर बैठकर लंबे समय तक सुनना बोरिंग लगता है। उसकी इंटरएक्टिव एक्टिविटीज बढ़ाएँ।
Q2. क्या ऑनलाइन पढ़ाई बच्चों की आँखों को नुकसान पहुँचा सकती है?
Ans. हाँ, लेकिन स्क्रीन ब्राइटनेस कम करके और ब्रेक ले लेकर बचाव किया जा सकता है।
Q3. बच्चे की एकाग्रता बढ़ाने के लिए क्या उपाय करें?
Ans. छोटे-छोटे लक्ष्य बनाएँ। जैसे: 25 मिनट पढ़ाई, 5 मिनट ब्रेक इस आप उसकी एकाग्रता बढ़ा सकते है।
Q4. ऑनलाइन क्लासेज के बाद बच्चे को सोशल बनाने के लिए क्या करें?
Ans. उसे पार्क में दोस्तों से मिलने दें, या ऑनलाइन ग्रुप में स्टडी करवाएँ।
निष्कर्ष: संतुलन ही है समाधान!
ऑनलाइन क्लास एक वरदान हैं और चुनौती भी। जरूरत है एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाने की जहाँ तकनीक का उपयोग हो, लेकिन बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य की अनदेखी न हो।