बच्चे की मेंटल और इमोशनल हेल्थ को कैसे पहचानें “मेरा बच्चा बहुत जिद्दी है।”
“वह किसी से बात नहीं करता?”
“उसे हर समय गुस्सा क्यों आता है?”
अगर आप की भी ऐसी शिकायतें हैं, तो जरा रुक जाइए ! हो सकता है, आपके बच्चे का व्यवहार आपकी अनजानी कुछ गलति का नतीजा हो।
चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट के अनुसार, “बच्चों में 80% इमोशनल प्रॉब्लम्स का कारण माता पिता के कारण होता है।”
यहां हम उन 6 गलतियों के बारे में बात करेंगे जो बच्चों को मानसिक रूप से हेल्थ को कमजोर बनाती हैं।

- “तुम तो बिल्कुल बेकार हो!” — बच्चे की इस तरह तुलना करना क्या गलत नहीं होता है?
- बच्चे को उसके भाई-बहन, दोस्त, या कजिन्स से कॉम्पेयर करना बिलकुल गलत है।
- उदाहरण: “तुम्हारी बहन तो हमेशा फर्स्ट आती है, तुम क्यों फर्स्ट नहीं आते?”
इसके मनोवैज्ञानिक प्रभाव:
- इन्फीरियरिटी कॉम्प्लेक्स:बच्चा खुद को दूसरों से कम समझने लगता है।
- इससे रिश्तों में दरार आती है।:भाई-बहनों के बीच ईर्ष्या पैदा होती है।
- डिप्रेशन: WHO के अनुसार, तुलना करने वाले बच्चों में डिप्रेशन का रिस्क 3 गुना ज्यादा बढ़ जाता है।
तो क्या करें?
- तारीफ पर फ़ोकस करें “की तुमने इतनी मेहनत की, मुझे तुम पर बहुत गर्व है!”
- कुछ यूनिक समझाएं: “हर बच्चे की अपनी स्पीड और स्ट्रेंथ होती है।” उसके बारे में बताएं।
- “तुझमे कोई फीलिंग्स नहीं है?” — उसके भावनाओं को नजरअंदाज करना।
इससे क्या गलत होता है?
- बच्चे के अंदर डर, गुस्से, या उदासी है तो हल्के में मत लिजये।
- उदाहरण: “रोना बंद करो, ये तो बस छोटी सी चोट है!” इस तरह उसे मत कहे।
इसके मनोवैज्ञानिक प्रभाव:
- इमोशनल प्रेशर: इससे बच्चा भावनाएं छुपाना सीख जाता है, जो आगे चलकर एंग्जाइटी का कारण बन जाता है।
- ट्रस्ट इश्यू: इससे आगे चलकर वह माता-पिता से अपनी बात शेयर करना बंद कर देता है।
क्या करें?
- वैलिडेट फीलिंग्स: “मैं समझ सकती हूं कि तुम डर गए होगे।”
- कॉपिंग स्किल्स सिखाएं: डीप ब्रीदिंग या ड्राइंग के जरिए इमोशन्स एक्सप्रेस करना सिखाएं।
- “मैंने तुम्हारे लिए इतना कुछ किया!” — गिल्ट ट्रिप देना
क्या गलत नहीं होता है?
- बच्चे को उसकी गलतियों या अपने त्याग का एहसास दिलाना।
- उदाहरण: “तुम्हारी पढ़ाई पर हमने सब कुछ लुटा दिया, अब तुम कह रहे हो कि मुझसे नहीं होगा!”
इसके मनोवैज्ञानिक प्रभाव:
- क्रोनिक गिल्ट कराना: इससे बच्चा खुद को हमेशा “कर्जदार” समझता है।
- पीपल-प्लीजिंग: दूसरों को खुश रखने के लिए वोअपनी इच्छाएं दबा देता है।
क्या करें?
- पॉजिटिव मोटिवेशन: “हम तुम्हारे साथ हैं, तुम जो भी चुनो हम तुम्हारा साथ देंगे।”
- ओपन कम्युनिकेशन: बच्चों को बिना शर्त के प्यार का एहसास दिलाएं।
- “मेरे सपना कुछ और है , तुम्हारा करियर कुछ और!” — पेरेंट्स का अपनी अधूरी इच्छाएं बच्चों को थोपना।
क्या गलत होता है?
- बच्चे पर डॉक्टर, इंजीनियर, या आईएएस बनने का दबाव डालना।
- उदाहरण: “मैं नहीं बन पाया, तुम्हें तो बनना ही होगा!” इस तरह दबाव डालना।
इसका मनोवैज्ञानिक प्रभाव:
- आइडेंटिटी क्राइसिस: बच्चा अपनी पसंद को लेकर हमेशा कन्फ्यूज्ड रहता है।
- बिहेवियर: वह विद्रोही होकर पढ़ाई छोड़ना या गलत रास्ते पर भी जा सकता है।
क्या करें? - पैशन को समझें: “तुम क्या बनना चाहते हो, बच्चे के पैशन समझें? उससे कहें कि चलो उसके बारे में बात करते हैं।”
- सपोर्टिव बनें: बच्चों के साथ स्किल-बेस्ड कोर्सेज या करियर ऑप्शन्स एक्सप्लोर करने में उसकी मदद करें।
- “तुम कुछ नहीं कर सकते!” — ओवरप्रोटेक्शन
क्या गलत होता है?
- बच्चे को छोटे-छोटे फैसले लेने से रोकना।
- उदाहरण: “तुम अकेले साइकिल नहीं चला सकते, गिर जाओगे!”
मनोवैज्ञानिक प्रभाव:
- लो सेल्फ-एस्टीम:इससे बच्चे खुद पर भरोसा खो देते है।
- डिपेंडेंसी: उम्र बढ़ने के बाद बच्चों में फैसले लेने में डर लगने लगता है।
क्या करें?
- रिस्क लेने दें: बच्चों को छोटी गलतियों से सीखने का मौका दें।
- एज-अप्रोप्रिएट टास्क: 5 साल का बच्चा अपने जूते खुद बांध सकता है।
- “तुम्हारी वजह से लड़ाई होती है!” — बच्चे के सामने झगड़ना।
क्या गलत होता है?
- पति-पत्नी के झगड़े में बच्चे को कारण बताना या उसे गवाह बनाना।
- उदाहरण: बच्चों को बोलना “तुम्हारे पापा तो बस पैसे उड़ाते हैं!”
मनोवैज्ञानिक प्रभाव:
- गिल्ट और शर्म: बच्चा खुद को लड़ाई का कारण समझने लगता है।
- इमोशनल इंस्टैबिलिटी: एंग्जाइटी डिसऑर्डर या सोशल फोबिया का डर।
क्या करें?
- प्राइवेट स्पेस: बच्चे के सामने माता पिता झगड़ने से बचें।
- उससे कहें: “हमारी लड़ाई का तुमसे कोई लेना-देना नहीं। हम तुमसे बहुत प्यार करते हैं।”
बच्चों के हेल्थ स्पेशलिस्ट्स के 5 गोल्डन टिप्स।

- “नहीं” से ज्यादा “हां” कहें: बच्चे को रचनात्मक विकल्प करने दें।
- अपनी गलतियों को मानें: “मुझे खेद है, मैंने तुमसे गुस्से में गलत बोल दिया।”
- क्वालिटी टाइम: दिन में 30 मिनट सिर्फ बच्चे के साथ बिताएं।
- रोल मॉडल बनें: बच्चा वही सीखता है जो आप करते हैं, न कि सिर्फ कहते हैं।
- प्रोफेशनल हेल्प लें : अगर बच्चे में गंभीर लक्षण दिखें, तो चाइल्ड हेल्थ साइकोलॉजिस्ट से सलाह लें।
काल्पनिक हेल्थ कीं स्टोरी:
मैंने अपने बेटे को खोया खोया हुआ महसूस किया…”
रिया (माँ, 34 वर्ष):
“मेरा बेटा 12 साल का था जब उसने स्कूल जाना बंद कर दिया। मैं उसे हमेशा डांटती थी, ‘तुम समझते क्यों नहीं हो?’ एक दिन स्कूल काउंसलर ने बताया कि वह डिप्रेशन में है।
उसके बाद मैंने अपनी गलतियाँ स्वीकार कीं: उसकी तुलना करना, उसकी फीलिंग्स इग्नोर करना। सब बंद किया, फिर काउंसलर से सलाह लेकर इलाज करवाया। आज उसकी हेल्थ ठीक है।
FAQs: पेरेंटिंग और मेंटल हेल्थ से जुड़े सवाल।
Q1. बच्चा झूठ क्यों बोलता है?
ans.डर के कारण या तो सजा का डर या निराश करने का। उसे हमेशा सुरक्षित महसूस कराएं।
Q2. बच्चे को मोबाइल की लत से कैसे बचाएं?
ans. टेक-फ्री जोन" बनाएं (जैसे डिनर टेबल)। ऑफलाइन गेम्स को बढ़ावा दें।
Q3. क्या बच्चों को थेरेपी लेनी चाहिए?
ans. हाँ! थेरेपी बीमारी नहीं, मानसिक फिटनेस का हिस्सा होता है।
Q4. बच्चा गाली क्यों देता है?
ans. ध्यान खींचने या भावनाएं व्यक्त करने के लिए। शांति से समझाएं कि यह शब्द हमलोगों को इस्तेमाल नहीं करना चाहिए ।
निष्कर्ष:
बच्चे की मेंटल हेल्थ उसके भविष्य की नींव है। जिस तरह हम उसके शारीरिक घावों पर ध्यान देते हैं, उसी तरह उसकी भावनाओं को भी सुरक्षा देनी चाहिए