बच्चों के डर, सपने, और व्यवहार के पीछे का विज्ञान: समझिए बाल मन की गहराइयाँ।

क्या आपने कभी सोचा है कि आपका बच्चा अचानक अँधेरे से क्यों डरने लगता है? या रात में उसे बार-बार बुरे सपने क्यों आते हैं? कभी-कभी बच्चों का चिड़चिड़ापन या जिद्दी व्यवहार माता-पिता को हैरान कर देता है। पर क्या आप जानते हैं कि ये सभी घटनाएँ उनके दिमाग और भावनाओं की जटिल प्रक्रियाओं का हिस्सा हैं?

1.बच्चों का डर: काल्पनिक है या वास्तविक?

डर एक प्राकृतिक भावना है जो बच्चों को खतरों से बचाने में मदद करती है। लेकिन कभी-कभी यह डर तर्कहीन हो जाता है—जैसे अँधेरे से डरना, परियों या राक्षसों की कहानी सुनकर डरना । आइए समझते हैं कि ये डर क्यों और कैसे पैदा होते हैं।

a) डर का विज्ञान: ‘फाइट ऑर फ्लाइट’ प्रतिक्रिया।

जब बच्चा किसी खतरे (वास्तविक या काल्पनिक) को महसूस करता है, तो उसका दिमाग अमिगडाला (भावनाओं का केंद्र) सक्रिय हो जाता है। इससे शरीर में एड्रेनालाईन हार्मोन रिलीज होता है, जो दिल की धड़कन बढ़ाता है और उससे भागने या लड़ने के लिए तैयार करता है।

b) काल्पनिक डर के कारण।

  • विकासात्मक चरण: 3-6 साल की उम्र में बच्चों की कल्पनाशक्ति तेज होती है। वे टीवी पर, कहानियों, या दोस्तों से सुनी बातों को वास्तविक मान लेते हैं।
  • अनुकरण (Imitation): अगर माता-पिता या भाई-बहन किसी चीज़ से डरते हैं, तो बच्चे भी उसे गंभीरता से लेने लगते हैं। और डरने लगते है।
  • अनिश्चितता का डर: बच्चों में नई जगह, नया स्कूल, या अजनबी लोगों के सामने असुरक्षा की भावना पैदा होती है।

c) डर को कैसे हैंडल करें?

  • उनकी भावनाओं को नज़रअंदाज़ नहीं करें: “यह तो बेवकूफी है” कहने के बजाय बच्चों को कहें, “मैं समझता हूँ कि तुम डर गए।”
  • काल्पनिक दोस्त बनाएँ: “अँधेरे का राक्षस” को हराने के लिए टॉर्च या स्प्रे का खेल बनाकर खेलें।
  • धीरे-धीरे एक्सपोजर दें: अगर बच्चा कुत्ते से डरता है, तो पहले उसे टीवी पर कार्टून कुत्ते दिखाएँ, फिर दूर से असली कुत्ता देखने दें।

2.बच्चों के सपने: बुरे क्यों आते हैं ?

सपने न केवल मनोरंजन का साधन हैं, बल्कि बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य और सीखने की प्रक्रिया से भी जुड़े होते हैं।

a) नींद के चरण और सपने।

  • REM (Rapid Eye Movement) Sleep: यह वह चरण है जब सबसे ज्यादा सपने आते हैं। इस दौरान दिमाग दिनभर की यादों को प्रोसेस करता है।
  • बुरे सपनों का कारण: तनाव, डरावनी फिल्में, या दिन में हुई कोई डरावनी घटना बच्चों के सपनों में आती है।

b) सामान्य सपने vs. डरावनी सपने।

  • सामान्य सपने: इनमें बच्चे उड़ते हैं, जादुई दुनिया में घूमते हैं, या अपने पसंदीदा किरदारों से मिलते हैं।
  • डरावनी : बुरे सपने आमतौर पर नींद के आखिरी चरणों में आते हैं। बच्चा डरकर उठ जाता है और उसे सपने की हर बात याद रहती है।

c) बुरे सपनों से कैसे निपटें?

डर
  • सोने से पहले रूटीन बनाएँ: हल्की कहानियाँ सुनाएँ या शांत संगीत बजाएँ।
  • सपनों पर चर्चा करें: सुबह बच्चे से पूछें, “कल रात क्या सपना देखा?” और उसे बताएँ कि सपने वास्तविक नहीं होते।
  • उसे कम्फर्ट ऑब्जेक्ट दें: उसके पास उसका पसंदीदा खिलौना या कंबल रखें।

3.बच्चों का व्यवहार: स्वभाव या मस्तिष्क की केमिस्ट्री?

बच्चे का गुस्सा, जिद, या चुप रहना—ये सभी उसके मस्तिष्क के विकास और बाहरी वातावरण का नतीजा होते हैं।

a) प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स की भूमिका।

यह बच्चों का प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स (मस्तिष्क का वह हिस्सा जो निर्णय लेने और भावनाओं को नियंत्रित करता है) 25 साल की उम्र तक पूरी तरह विकसित होता है। इसलिए, छोटे बच्चे आवेगी व्यवहार करते हैं और तुरंत धैर्य खो देते हैं।

b) व्यवहार को प्रभावित करने वाले कारक।

  • जेनेटिक्स: माता-पिता का स्वभाव बच्चे में आनुवंशिक रूप से आ सकता है।
  • परवरिश बच्चों को अत्यधिक लाड़ या सख्त अनुशासन चिड़चिड़ा बना सकता है।
  • पोषण: बच्चों को शुगर या प्रिजर्वेटिव्स से भरपूर आहार हाइपरएक्टिविटी बढ़ाते हैं।

c) चुनौतीपूर्ण व्यवहार को मैनेज कैसे करें।

  • इमोशनल फर्स्ट एड: जब बच्चा गुस्से में हो, तो उसे शांत होने दें। बाद में बात करें।
  • पॉजिटिव रीइन्फोर्समेंट: उसके अच्छे व्यवहार की तारीफ करें—”तुमने आज खिलौने शेयर किए, यह तो बहुत अच्छी बात है!”
  • रूटीन बनाएँ: नियमित दिनचर्या बच्चे को सुरक्षित और अनुशासित महसूस कराती है।

4.विज्ञान और मनोविज्ञान का मिश्रण: बच्चों को समझने की कुंजी है।

a) अटैचमेंन्ट थ्योरी (लगाव सिद्धांत)।

मनोवैज्ञानिक जॉन बॉल्बी के अनुसार, बच्चे का माता-पिता के साथ सुरक्षित लगाव उसे भावनात्मक रूप से मजबूत बनाता है। इससे उनमें आत्मविश्वास और सामाजिक कौशल विकसित होते हैं।

b) मिरर न्यूरॉन्स का चमत्कार।

बच्चे मिरर न्यूरॉन्स की मदद से दूसरों के व्यवहार और भावनाओं की नकल करते हैं। यही कारण है कि वे माता-पिता की हँसी, गुस्सा, या चिंता को तुरंत अपना लेते हैं

c) कल्पना और वास्तविकता की लड़ाई।

7 साल से कम उम्र के बच्चे अक्सर कल्पना और सच्चाई के बीच फर्क नहीं कर पाते। इसलिए, वे सोचते हैं कि चंदा मामा उन्हें देख रहे हैं या उनका खिलौना जिंदा है!

बच्चों में सामाजिक विकास का महत्व: समझदार, संवेदनशील और सफल नागरिक बनाने की नींव।click here

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

Q1.क्या बच्चों को भूत-प्रेत का डर सामान्य है?

Ans. हाँ! यह उनकी कल्पनाशक्ति और अज्ञात के प्रति जिज्ञासा का हिस्सा है। धैर्य से समझाएँ कि भूत नहीं होते।

Q2. बच्चा रात में बार-बार क्यों उठता है?

Ans. यह नींद चक्र के टूटने, पेट भरा न होने, या सुरक्षा की कमी के कारण हो सकता है। सोने से पहले हल्का भोजन और प्यार भरी गोद मदद करेगी।

Q3.क्या बच्चों का झूठ बोलना चिंता का विषय है?

Ans. छोटे बच्चों में काल्पनिक कहानियाँ बनाना सामान्य है। लेकिन अगर बड़े बच्चे बार-बार झूठ बोलें, तो इसके पीछे का कारण जानें (जैसे, डर या कुछ पाने की चाह)।

Q4. बच्चे को जिद्द करता है क्या करें?

Ans. बच्चे को जिद्दी नहीं, बल्कि आत्मविश्वासी बनाना ज़रूरी है। उसे प्यार से अपनी बात कहने और सही तरीके से अपनी इच्छा जताने की आदत सिखाएँ।

निष्कर्ष: बाल मन एक रहस्यमयी बगीचा है।

बच्चों का डर, सपने, और व्यवहार उनके विकास की प्राकृतिक प्रक्रिया का हिस्सा हैं। इन्हें समझकर हम न केवल उनकी मानसिक सेहत को सुधार सकते हैं,
बल्कि एक ऐसा रिश्ता भी बना सकते हैं जो विश्वास और प्यार पर टिका हो। याद रखें, हर बच्चा अनोखा है—उसकी भावनाओं को सुनें, उसके साथ खेलें, और उसे बिना शर्त प्यार दें।

Leave a comment