क्या आपका बच्चों को मोबाइल एडिक्शन है?
-खाने की टेबल पर मोबाइल से चिपका रहता है?
-रात 12 बजे तक गेम खेलता रहता है?
-“5 मिनट और” कहकर घंटों मोबाइल पर लगा रहता है?
आपका उत्तर हाँ है, तो आप अकेले नहीं हैं! नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ (NIMH) के अनुसार, भारत में हर 4 में से 3 है?बच्चों को मोबाइल एडिक्शन हैं। मनोचिकित्सक डॉ. राजेश सिंह का चेतावनी हैं: “अत्यधिक मोबाइल देखना बच्चों के ब्रेन डेवलपमेंट को नुकसान पहुँचाता है, जिससे याददाश्त कमज़ोर होना और चिड़चिड़ापन जैसी समस्याएँ हो जाती हैं।”
बच्चों को मोबाइल एडिक्शन कैसे कम करें।

स्टेप 1: एडिक्शन को पहचानें।
इन संकेतों से जानें कि बच्चा मोबाइल,का आदी हो चुका है:
- मोबाइल छीनने पर बच्चों का रोना/हिंसक होना।
- पढ़ाई और खेल में रुचि कम हो जाना।
- रात में चोरी-छिपे मोबाइल देखना।
- मोबाइल देखने के बारे में झूठ बोलना।
सावधानी:
“हफ्ते में 35 घंटे से ज़्यादा मोबाइल देखना ‘हाई रिस्क’ माना जाता है।” अगर आपके बच्चों को मोबाइल एडिक्शन की लत पड़ जाती है तो उसे ठीक कर पाना मुश्किल हो जाता है। इसलिए ऐसी योजना तैयार करें, जिससे आप अपने बच्चे को मोबाइल फोन से दूर रख सके। ऐसे विकल्पों को तलाशें, जिनकी मदद से आपके बच्चे मोबाइल फोन से दूर रहें।
स्टेप 2: “डिजिटल डाइट” प्लान बनाएँ।

जैसे शरीर को पोषण चाहिए, वैसे ही दिमाग को डिजिटल डिटॉक्स की ज़रूरत है। जब तक बच्चा 18 से 24 महीने का नहीं हो जाता है तब तक बच्चों को मोबाइल एडिक्शन और टीवी स्क्रीन से दूर ही रखना चाहिए। ये उम्र उनकी आंखों के लिए रोशनी को सहन करने वाली हो जाती हैं। इस उम्र से पहले बच्चों को मोबाइल फोन न पकड़ाएं।
उम्र | अनुमत स्क्रीन टाइम | बैन किए गए कॉन्टेंट |
---|---|---|
2-5 साल | 30 मिनट/दिन | वायलेंस, फास्ट-पेस्ड कार्टून |
6-12 साल | 1 घंटा/दिन | ऑनलाइन गेमिंग, सोशल मीडिया |
13+ साल | 2 घंटे/दिन | अश्लील कॉन्टेंट, डार्क वेब |
फैमिली रूल बनाएँ:
- नो-फोन जोन: किचन, बेडरूम और पूजा घर।
- डिजिटल कर्फ्यू: रात 8 बजे से सुबह 7 बजे तक।
- फैमिली आउटिंग: पिकनिक पर मोबाइल फ्री डे।
स्टेप 3: मोबाइल की जगह बच्चों इंटरेस्टिंग एक्टिविटी दिजिए।
A. रियल-वर्ल्ड एक्टिविटीज़:
- क्रिएटिव कॉर्नर: पेंटिंग बनाना, मिट्टी के बर्तन बनाना, या डिजाइनिंग करना।
- नेचर थेरेपी: उससे गार्डनिंग , बर्ड वॉचिंग, या तारे गिनने को कहें।
- ब्रेन गेम्स: पज़ल, चेस, या कैरम बोर्ड दें।
B. फिजिकल एक्टिविटीज़:
- डांस थेरेपी: गरबा, कथक, ज़ुम्बा डांस क्लास में बच्चों को डालें।
- मार्शल आर्ट्स: कराटे, टेक्वांडो से आत्मविश्वास बढ़ाएँ।
- आउटडोर स्पोर्ट्स: साइकिलिंग, बैडमिंटन, या स्विमिंग सिखाएं।
स्टेप 4: “पेरेंट-चाइल्ड मिलकर एक डिजिटल नियम” बनायें।
बच्चे को अपने साथ नियमों में शामिल करेंगें तो वो नियम मानेंगे :
- साथ में साप्ताहिक मोबाइल टाइम चार्ट बनाएँ।
- डिवाइस फ्री डे चुने (जैसे हर शनिवार)।
- “टेक्नोलॉजी पिगी बैंक” बनाएँ: जितने घंटे मोबाइल न चलाएँ, उतने पैसे उसमे जोड़ें।
“जब बच्चे को लगता है कि उसकी बात सुनी जा रही है, वह धिरे धिरे ज़िद कम करने लगता है।” लेकिन अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चों को मोबाइल एडिक्शन, टीवी स्क्रीन या फिर अन्य डिजीटल उपकरणों से दूर रहे तो आपको खुद को भी उनसे दूरी बनानी होगी। जी हां, आपको अपने मोबाइल फोन और स्क्रीन टाइम को कम करना होगा ताकि उसका प्रभाव आपके बच्चे पर पड़े।
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स्टेप 5: टेक्नोलॉजी को “सहयोगी” बनाएँ।

बच्चों को मोबाइल एडिक्शन नहीं, सहायक बनाएँ:
टूल | उपयोग | फायदा |
---|---|---|
Google Family Link | स्क्रीन टाइम लिमिट सेट करें | ऐप्स ब्लॉक करने की सुविधा |
YouTube Kids | सिर्फ एजुकेशनल कॉन्टेंट दिखाएँ | ऑटो-प्ले ऑफ करें |
Forest App | फोकस टाइम पर वर्चुअल ट्री उगाएँ | गेमिफाइड प्रोडक्टिविटी |
सावधानी।
कभी भी बच्चों के सामने अपना कंट्रोल पासवर्ड शेयर न करें!
स्टेप 6: इमोशनल कनेक्शन बनाएँ।
बच्चों को मोबाइल एडिक्शन की जड़ है अकेलापन या भावनात्मक कमी।
बच्चों से कनेक्ट करने के तरीके:

- “दिल की बात” करे। रोज़ 15 मिनट बिना फोन के बच्चों से बात करें ।
- अपने बचपन की कहानियाँ सुनाएँ: “मेरे ज़माने में…” से शुरुआत करें , आपके समय कि बातें सुनकर बच्चे रोमांचित हो जायेगा।
- रोल प्ले करें: “अगर मैं तुम्हारी उम्र का होता…” जैसे सीन उसे करके दिखाएं। जिससे बच्चा समझ सके।
गोल्डन टिप:
जब बच्चा मोबाइल छोड़कर कोई अच्छा काम करे, तो कहें: “तुम्हारी ज़िंदगी के बड़े सपनों के आगे ये मोबाइल कितना छोटा है!” इससे बच्चा प्रेरित होगा। लेकिन जब आपको लगता है कि आपकी कोई भी तरकीब काम नहीं कर रही है तो आपके पास बच्चे का ध्यान भटकाने का सबसे अच्छा जुगाड़ है इनाम देना। लेकिन इस बात का ख्याल रखें कि आप जो भी इनाम दें वो आपके बच्चे के लिए अच्छा हो और उन्हें बेहतर करने में मदद करे।
रेड अलर्ट! ये गलतियाँ कभी नहीं करें:
- जबरन मोबाइल मत छीने इससे बच्चों में आक्रामकता बढ़ता है।
- खुद बच्चे के सामने घंटों रील्स देखना बंद करें।
- “तुम्हारे दोस्त का फोन देखो” जैसी तुलना करना नहीं करें।
निष्कर्ष
बच्चों को मोबाइल एडिक्शन से लड़ाई कानूनों से नहीं, रिश्तों से जीती जाती है। जिस भावनात्मक खालीपन को भरने के लिए बच्चा मोबाइल की ओर भागता है, अगर वह घर में प्यार से भरा जाए, तो मोबाइल एडिक्शन अपने आप कम हो जाएगी।”
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FAQ
Q1: स्कूल का होमवर्क ऑनलाइन है तो क्या करें?
A: कंप्यूटर पर काम करवाएँ, फोन न दें। होमवर्क के लिए अलग ईमेल आईडी बनाएँ। अगर स्कूल का होमवर्क ऑनलाइन है, तो बच्चे को टेक्नोलॉजी का सही इस्तेमाल करना सिखाएं । सबसे पहले उसके लिए एक शांत और व्यवस्थित डिजिटल स्पेस तैयार करें। समय तय करें कि कब और कितनी देर ऑनलाइन होमवर्क किया जाएगा, ताकि स्क्रीन टाइम संतुलित रहे। साथ बैठकर शुरू में गाइड करें, ताकि वह ग़लत वेबसाइट्स या ध्यान भटकाने वाले ऐप्स से दूर रहे।
Q2: बच्चा चोरी छिपे गेम खेलता है क्या करें?
A: रात में वाईफाई बंद कर दें। डिवाइस चार्जिंग अपने रूम में लगवाएं। अगर बच्चा चोरी-छिपे गेम खेलता है, तो सबसे पहले डाँटने की बजाय यह समझने की कोशिश करें कि वह ऐसा नही करे । हो सकता है उसे गेम खेलने में खुशी, प्रतिस्पर्धा या ध्यान पाने का एहसास मिल रहा हो। उसके साथ खुलकर बातचीत करें और उसके साथ नियम तय करें कि गेम कब और कितनी देर खेला जा सकता है। उसे यह समझाएँ कि छिपकर करना गलत है, लेकिन उसकी पसंद को पूरी तरह नहीं नकारें । अगर वह ईमानदारी से नियमों का पालन कर रहा है, तो उसकी तारीफ करें ताकि उसे सही रास्ते पर चलने की प्रेरणा मिले।
Q3: मेरा बच्चा बेहद आक्रामक हो गया है?
A:अगर आपका बच्चा बेहद आक्रामक हो गया है, तो सबसे पहले उसके व्यवहार के पीछे की वजह समझने की कोशिश करें—क्या वह तनाव, उपेक्षा या किसी अंदरूनी डर से जूझ रहा है। उसे बार-बार टोकने या डाँटने की बजाय शांत माहौल में बात करें और उसकी भावनाओं को व्यक्त करने का मौका दें। बच्चों को गुस्सा आने पर उसे सही ढंग से गुस्से को संभालना सिखाएँ, जैसे गहरी साँस लेना या थोड़ी देर अकेले रहना। आक्रामकता कम करने के लिए उसका ध्यान खेल, कला, या रचनात्मक गतिविधियों में लगाएँ। सबसे ज़रूरी बात—उसे यह एहसास दिलाएँ कि आप उसकी मदद के लिए हैं, न कि उसके खिलाफ।