आज के दौर में हर माता-पिता चाहते हैं कि मेरा बच्चा बुरी संगति से बचा रहे और आगे अपने जीवन में तरक्की करे, और एक बेहतर इंसान बने। इसके लिए माता-पिता हर संभव कोशिश करते हैं। पेरेंट्स बच्चों को मंहगी स्कूल तथा कोचिंग देते हैं। यह सबसे बड़ी चिंताओं में से एक है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अगर आपके बच्चे को कुछ मूलभूत कौशल सिखा दें, तो वह किसी भी नकारात्मक प्रभाव से खुद को बचा सकता है?
जिस तरह आप अपने ऑफिस में अपनी टीम को चुनौतियों के लिए प्रेरित करते हैं, उसी तरह आप अपने बच्चे को भी जीवन में प्रेरित कर सकते हैं। यहां हम आपको बताएंगे कि कैसे आप बच्चों में आत्मविश्वास, नैतिकता, और निर्णय क्षमता विकसित करके बुरी संगति के प्रभाव से बचा सकते हैं।
बुरी संगति से बच्चे को कैसे बचाएँ?
ये 7 जीवन कौशल। आत्मविश्वास, नैतिकता, और सही निर्णय लेना सीखकर बच्चा कभी नहीं बिगड़ेगा।
सेल्फ-अवेयरनेस।
हरेक माता-पिता अपने बच्चों की ताकत और कमजोरियों को समझते हैं। अपने बच्चे को खुद के बारे में जागरूक बनाएँ। उन्हें बुरी संगति से बचने के लिए आत्मविश्वास का पाठ पढ़ाना चाहिए। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो आपके बच्चे जीवन में आगे चलकर बिगड़ भी सकते हैं। अपने बच्चों को यह बात हमेशा याद दिलाते रहें कि उनमें काबिलियत काफी ज्यादा है और अगर वे चाहें तो जीवन में काफी कुछ हासिल कर सकते हैं।
आपको अपने बच्चे को यह भी जरूर बताना चाहिए कि जीवन में कई बार वे फैसले लेने में फंस सकते हैं। लेकिन शांत दिमाग से सोच समझकर फैसले लेने से वे हमेशा मुसीबतों से बचेंगे और गलत संगति में भी नहीं फसेंगे।
- खुद को पहचानना सिखाएँ: बच्चे से पूछें, “तुम्हें क्या अच्छा लगता है?” या “तुम किसमें माहिर हो?”
- भावनाओं को व्यक्त करना: गुस्सा, डर, या खुशी को शब्दों में बताने की आदत डालें।
- उदाहरण: अगर बच्चा दोस्तों के दबाव में सिगरेट पीने से मना कर दे, तो उसकी प्रशंसा करें।
फायदा: आत्म-जागरूक बच्चा दूसरों के प्रभाव में कम आएगा तो आपके बच्चे बुरी संगति से बचा रहेगा।

“नैतिकता का ज्ञान।
आजकल बच्चों को नैतिकता का ज्ञान जरूरी है। बच्चों में नैतिक ज्ञान देने से बच्चे जब बड़े होंगे तो उनकी सफलता और निखरेगी। बड़े लोगों का साथ मिलने से बच्चे अपने स्कूल में सभी शिक्षकों का प्यार पाएंगे, जिससे उन्हें स्कूल में पढ़ने में मन लगेगा। बच्चे बोर नहीं होंगे और हमेशा स्कूल जाने के लिए प्रोत्साहित रहेंगे।
आजकल के बच्चे बहुत ही नटखट होते हैं। अगर बचपन से ही उन्हें नैतिक ज्ञान दिया जाए तो बच्चे बड़े होकर बड़े का आदर करना, अपने से छोटे को आशीर्वाद देना, इस तरह बच्चे एक प्रतिष्ठित व्यक्ति बनेंगे और बुरी संगति से बचा रहेंगे। बच्चों को इतिहास की कहानी सुनाकर समझाएँ या खुद उनका रोल-मॉडल बनें, ताकि वह सीख सकें।
“निर्णय लेने की कला”
हर निर्णय लेने के पहले जैसे आप उसका विश्लेषण करते है। उसी तरह बच्चे को भी यह कला सिखाएँ।
- उसके पास विकल्पों का विश्लेषण करने का समय दें “इसके क्या फायदे और नुकसान हैं ये बातें समझाएं?”उसे सवाल पूछने की आदत डालें। उससे वह सीखने की शुरुआत करेगा।
- उसे घर के छोटे निर्णयों की जिम्मेदारी दें जैसे, घर के खर्चे में बचत कैसे होगा एक तरीका बताएं।
- बच्चा अगर गलत दोस्तों के साथ पार्टी में जाने से मना कर दे, तो उसकी तारीफ करें। जिससे उसे लगेगा कि मैंने यह ठीक किया। इस तरह बच्चे को निर्णय लेने कि क्षमता को बढ़ा सकते हैं।
“इमोशनल इंटेलिजेंस” विकसित करें।
हर बच्चे को टीम की तरह संवाद करना सिखाना चाहिए। संवाद कौशल बच्चे को भावनात्मक रूप से मजबूत बनाता है।
- वह दूसरों की भावनाएँ समझते है। वह”तुम्हारे दोस्त ने ऐसा क्यों किया?” जैसे सवालों पर बात करें। और हर समस्याओं को शांति से सुलझा सकता है। झगड़े की स्थिति में बातचीत का तरीका किस तरह का हो यह सिखाएँ। इस तरह अगर कोई दोस्त बच्चे को गलत काम के लिए उकसाए, तो वह “ना” कहने का साहस दिखा सके।
माइंडसेट डेवलप करें।
बच्चों का अपने लक्ष्य पर फोकस करना चाहिए, बच्चे को अपने सपनों से जोड़ें।
- लघु और दीर्घकालिक लक्ष्य बनाने को कहें “इस साल तुम क्या हासिल करना चाहते हो?” उस लक्ष्य के पिछे भागो।
- उसे रोल मॉडल्स के बारे में बताएँ। सफल लोगों की संघर्ष की कहानी सुनाएँ।
इससे उसका माइंडसेट डेवलप करेगा और अपने जीवन के लक्ष्य के प्रति जागरूक रहेगा ।
“रिस्क मैनेजमेंट” सिखाएँ।
जोखिम का आकलन करना सिखाएँ। बच्चे जब छोटे होते है तो उसे सही ग़लत का मतलब नहीं पता होता है। इस कारण बच्चे बहुत सारी गलतियां करते हैं। लेकिन इन गलतियों को कैसे सुधारें यह माता पिता पर निर्भर करता है।
- गलतियों से सीखना: “इस गलती ने तुम्हें क्या सिखाया?” जैसे सवाल पूछें।
- सुरक्षा नियमों का पालन करना : अजनबियों से बात करने, या इंटरनेट के खतरों के बारे में बताएँ।
- बच्चा अगर किसी से लड़ाई से बचने के लिए बड़ों की मदद ले, तो उसकी प्रशंसा करें और बुरी संगति से बचाएँ।
“लचीलापन”

असफलता को सीढ़ी बनाएँ बच्चे को हार न मानने की सीख दें:
- असफलता को सामान्य बताएँ अपने जीवन के संघर्षों की कहानियाँ बच्चों को साझा करें।
- पॉजिटिव टॉक “मैं यह कर सकता हूँ” या “मैं दोबारा कोशिश करूँगा” जैसे वाक्य बोलना सिखाएँ।
- बच्चा अगर किसी प्रतियोगिता में हारने के बाद दोबारा प्रैक्टिस करे, तो उसका हौसला बढ़ाएँ।
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पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
Q. बच्चा अगर गलत संगति में हो तो क्या करें?
अगर बच्चा बुरी संगति में आ गया हो, तो सबसे पहले उसे डाँटने या सज़ा देने की बजाय उसके साथ भरोसे का रिश्ता बनाएँ। उसकी बात ध्यान से सुनें और यह समझने की कोशिश करें कि वह उस संगति की ओर क्यों आकर्षित हुआ। धीरे-धीरे उसे सही और गलत का फर्क समझाएँ, लेकिन आदेश देने के अंदाज़ में नहीं, बल्कि दोस्त बनकर। अच्छे रोल मॉडल्स की कहानियाँ और सकारात्मक माहौल उसे प्रभावित कर सकते हैं। उसकी रुचियों से जुड़ी रचनात्मक गतिविधियों में उसका ध्यान लगाएँ, ताकि वह खुद उस संगति से दूर होना चाहे।।
Q. क्या बच्चे को दोस्त चुनने की आजादी देना सही है?
बच्चे को दोस्त चुनने की आज़ादी देना ज़रूरी है क्योंकि इससे वह सामाजिक होना और रिश्ते निभाना सीखता है। हालांकि, माता-पिता की यह ज़िम्मेदारी है कि वे उसके दोस्तों को समझें और उनके व्यवहार पर नज़र रखें। अगर बच्चा बुरी संगति में जा रहा हो, तो उसे डाँटने की बजाय सही मार्गदर्शन देना ज़्यादा असरदार होता है। बातचीत के ज़रिए यह सिखाएँ कि अच्छे दोस्त कैसे होते हैं और उनसे क्या सीख मिलती है। आज़ादी के साथ अगर समझदारी का संतुलन बना रहे, तो बच्चा खुद भी बेहतर निर्णय लेना सीखता है।
Q. बच्चा बातें छुपाने लगे तो क्या करें?
अगर बच्चा बातें छुपाने लगे, तो सबसे पहले उसे दोष देने के बजाय यह समझने की कोशिश करें कि वह ऐसा क्यों कर रहा है। कई बार डर, डाँट या उपेक्षा का अनुभव उसे चुप करा देता है। अपने व्यवहार में ऐसा भरोसा और अपनापन लाएँ कि बच्चा बिना डर के आपसे बात कर सके। रोज़ाना उसके साथ थोड़ा समय बिताएँ, उसकी बातें सुनें, चाहे वे कितनी भी छोटी क्यों न हों। जब वह कोई बात बताए, तो उसकी आलोचना करने के बजाय उसे समझें—यही आदत उसे खुला और ईमानदार बनाएगी।
Q. स्कूल में बुलिंग होने पर बच्चे को क्या करें?
अगर स्कूल में बच्चे को बुलिंग का सामना करना पड़ रहा हो, तो सबसे पहले उसकी बात को गंभीरता से और सहानुभूति के साथ सुनें। उसे यह महसूस कराएँ कि वह अकेला नहीं है और आप उसकी पूरी मदद करेंगे। बच्चे को शांत रहना, आत्मविश्वास से जवाब देना और ज़रूरत पड़ने पर किसी भरोसेमंद टीचर को बताना सिखाएँ। स्कूल प्रशासन से मिलकर स्थिति की जानकारी दें और कार्रवाई की माँग करें। साथ ही, बच्चे को भावनात्मक रूप से मज़बूत बनाने के लिए उसकी तारीफ करें, उसके साथ समय बिताएँ और उसकी अच्छाइयों पर भरोसा जताएँ।
बुरी संगति का डर तभी खत्म होगा जब बच्चा खुद में इतना सक्षम हो कि गलत प्रभावों को “न कहना” सीख जाए। उसमें नेतृत्व, नैतिकता, और जिम्मेदारी का बीज बोएँ। याद रखें, एक पेड़ की जड़ें मजबूत होंगी, तो तूफान भी उसे नहीं हिला सकता।
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