युद्ध के समय बच्चों को कैसे सुरक्षित रखें ?| How to keep children safe during war?

युद्ध और संघर्ष के दौरान बच्चे को सुरक्षित रखना सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। UNICEF के अनुसार, हर 6 में से 1 बच्चा दुनिया के किसी न किसी संघर्ष क्षेत्र में रहता है।
ऐसे में माता-पिता को बच्चे का देखभाल करने की जिम्मेदारी बढ़ जाती है कि वे न सिर्फ बच्चों को शारीरिक रूप से सुरक्षित रखें, बल्कि उनके मानसिक स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना जरूरी है।

युद्ध या हिंसा के दौरान बच्चों को कैसे सुरक्षित रखा जाए।

1.शारीरिक सुरक्षा: पहला और सबसे जरूरी कदम।

क) सुरक्षित स्थान ढूंढें:

  • बमबारी या गोलाबारी के दौरान बच्चों के लिए सबसे पहले सुरक्षित स्थान को ढ़ुढ़ें:
  • बच्चों को तहखाने, बंकर, या मजबूत इमारत के अंदर ले जाएँ।
  • खिड़कियों से दूर रखें—टूटे कांच से चोट लग सकती है।
  • बिजली, गैस, और पानी के मेन स्विच बंद कर करके रखें।
  • भीड़भाड़ वाले इलाकों से बचें: बाजार, रेलवे स्टेशन, या धार्मिक स्थलों पर बच्चों को नहीं लेकर जाएं वहां हमले का खतरा ज्यादा होता है।

ख) इमरजेंसी किट हमेशा तैयार रखें:

  • जरूरी सामान:
  • पानी की बोतलें, (बिस्किट, ड्राई फ्रूट्स)।
  • फर्स्ट एड किट, दवाइयाँ, और मास्क।
  • टॉर्च, पावर बैंक, और मोबाइल, एक्स्ट्रा बैटरी।
  • बच्चे का पसंदीदा खिलौना या कंबल ।
  • दस्तावेज: जन्म प्रमाण पत्र, पहचान पत्र, और मेडिकल रिकॉर्ड्स की कॉपी बैग में रखें।

ग) पलायन की योजना बनाएँ:

  • रूट: घर से निकलने के 2-3 रास्ते पहले से प्लान करें।
  • मिलने की जगह तय करें: अगर परिवार बिछड़ जाए, तो किसी सुरक्षित स्थान पर मिलने का प्लान बनाएं।
  • बच्चों को कोड वर्ड सिखाएँ: जैसे “ब्लू स्काई” का मतलब हो “तुरंत छिप जाओ”।

2.मानसिक सुरक्षा: डर और ट्रॉमा से बचाएँ।

क) बच्चों से ईमानदारी से बात करें:

  • उम्र के हिसाब से जानकारी दें:
  • 3-6 साल: उन्हें इस तरह समझाएं “कुछ लोग गुस्से में हैं, इसलिए हमें सावधान रहना है।”
  • 7-12 साल: “यह एक कठिन समय है, लेकिन हम साथ में रहेंगे और इससे निपटेंगे।”
  • 13+ साल: स्थिति की स्पष्ट जानकारी दें, लेकिन आशावादी बने रहने को कहें।
  • झूठ न कहें : “सब ठीक हो जाएगा” कहने की बजाय, “हमसब मिलकर पूरी कोशिश कर रहे हैं” कहें।

ख) रूटीन बनाए रखें:

  • चीजें को नॉर्मल रखें: सोने, खाने, और पढ़ने का समय निश्चित करें।
  • खेल और क्रिएटिविटी: ड्राइंग, कहानी सुनाना, या पजल गेम्स खेलकर बच्चे का ध्यान भटकाएँ।
  • ध्यान और सांस के व्यायाम: बच्चों को गहरी सांस लेने या मेडिटेशन सिखाएँ।

ग) मानसिक लक्षण पहचानें:

  • शारीरिक: बिस्तर गीला करना, सिरदर्द, या भूख न लगना।
  • भावनात्मक: चिड़चिड़ापन, डर, या बातूनीपन कम हो जाना।
  • क्या करें?
  • बच्चे को जबरदस्ती बात करने के लिए न कहें।
  • उसकी भावनाओं को स्वीकार करें: “तुम डर गए होगे, यह सामान्य है।” यह सभी के साथ होता है।
  • अगर उपलब्ध हो तो प्रोफेशनल की मदद लें ।

3.स्वास्थ्य और पोषण: बीमारियों से बचाव।

क) स्वच्छता का ध्यान रखें:

  • हाथ धोना: साबुन या सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें।
  • पानी उबालकर पिएँ: दस्त और हैजा जैसी बीमारियों से बचना होगा।
  • कचरा प्रबंधन: गीला कचरा दूर फेंकें—मच्छर और कीट न पनपें।

ख) पोषण सुनिश्चित करें:

  • ऊर्जा देने वाले खाद्य पदार्थ: चना, गुड़, मूंगफली, और सूखे मेवे आदि लें।
  • भोजन स्टोर करें: अनाज और दालों को एयरटाइट डिब्बे में रखें।
  • स्तनपान: 2 साल तक के बच्चों को माँ का दूध जरूर दें (यदि संभव हो)।

ग) आपातकालीन चिकित्सा:

  • घाव की देखभाल: घायलों को साफ पानी और डेटॉल से साफ करें, पट्टी बाँधें।
  • दवाइयाँ: पेनकिलर, एंटीबायोटिक क्रीम, और ORS अपने पास जरूर रखें।
  • टीकाकरण: खसरा, टेटनस, और हैपेटाइटिस के टीके लगवा लें।

4.शिक्षा और सामान्य जीवन: संकट में भी उम्मीद रखें।

क) शिक्षा जारी रखें:

  • घर पर पढ़ाई: पुरानी किताबें, कहानियाँ, या ऑफलाइन एजुकेशनल गेम्स जरूर बच्चों के साथ करें।
  • कम्युनिटी सपोर्ट: पड़ोसियों के साथ मिलकर छोटी क्लासेज चलाएँ।

ख) सामुदायिक एकजुटता:

  • संसाधन बाँटें: भोजन, दवाइयाँ, और सुरक्षा टिप्स एक दूसरे से शेयर करें।
  • बच्चों के लिए ग्रुप एक्टिविटीज: गाना गाना, कहानी सुनाना, या ड्रामा करना इत्यादि करवाएं।

ग) आध्यात्मिक और सांस्कृतिक का सहारा लें :

  • प्रार्थना और भजन: ये मन को शांति देने का साधन है।
  • लोककथाएँ: बच्चों को स्थानीय नायकों की कहानियाँ सुनाएँ और —हौसला बढ़ाएं।

5.कानूनी और मानवीय सहायता: अपने अधिकार को जानें। क) अंतरराष्ट्रीय कानून:

क) युद्ध में बच्चों के अधिकार:

बच्चों के कुछ है इसकी जानकारी लें, जिनेवा कन्वेंशन के तहत, 18 साल से कम उम्र के बच्चों को सैन्य कार्यों में शामिल नहीं किया जा सकता।
-शरणार्थी अधिकार: UNHCR से संपर्क करें—वे खाना, कंबल, और अस्थायी रहने का आवास मुहैया कराते हैं।

ख) संगठनों से मदद लें:

  • भारत में:
  • चाइल्डलाइन (1098): बच्चों के लिए 24×7 हेल्पलाइन।
  • सेव द चिल्ड्रन और UNICEF: शिक्षा और स्वास्थ्य सहायता।

ऑनलाइन क्लास का बच्चों पर मानसिक प्रभाव और समाधान।- click here

FAQ: युद्ध में बच्चों की सुरक्षा से जुड़े सवाल।

Q1. बच्चा बार-बार सवाल पूछता है—”क्या हम मर जाएंगे?”

Ans. हमलोग ईमानदार रहें: “हम पूरी कोशिश कर रहे हैं। तुम्हें सुरक्षित रखना हमारी पहली प्राथमिकता है।”

Q2. युद्ध के दौरान बच्चे को कैसे समझाएँ कि हिंसा गलत है?

Ans.उदाहरण दें: “जब लोग बातचीत नहीं करते, तब ऐसा होता है। हमेशा शांति का रास्ता चुनो।

Q3. अगर बच्चा परिवार से बिछड़ जाए, तो क्या करें?

Ans.उसे पहले से सिखाए गए मिलने के स्थान पर जाने को कहें। लोकल अथॉरिटीज और NGOs से संपर्क करें।

Q4. बच्चों को कब और कैसे शरणार्थी कैंप ले जाएँ?

Ans.जब घर पर रहना जोखिम भरा हो, तुरंत सुरक्षित कैंप की तलाश करें। रेडियो या स्थानीय नेटवर्क से जानकारी लें।


निष्कर्ष: संकट में भी उम्मीद की किरण हमारे बच्चे हैं।

युद्ध मानवता के लिए एक अंधेरा दौर है, लेकिन बच्चों की मासूमियत और हौसला हमें रास्ता दिखाता है।
याद रखें, “बच्चे न सिर्फ भविष्य हैं—वे वर्तमान के हीरो भी हैं।”उन्हें सुरक्षित रखने के लिए तैयारी, साहस, और समुदाय की एकजुटता जरूरी है।
आइए संकट के समय में भी बच्चों की मुस्कान को बचाए रखने का संकल्प लें!

Leave a comment