जानिए कैसे बदल सकते है अपने बच्चे की school education, जिसमें शामिल है।
राष्ट्रीय शिक्षा निति 2020 के बारे में। टॉप स्कूल्स के फॉर्मूले क्या होते है। क्या आपका बच्चा रोज स्कूल जाता है, लेकिन क्या वह सचमुच मे educate हो रहा है?
- क्या उससे रट्टा मरवाकर 95% लाना सिखाया जा रहा है?
- क्या उसकी क्रिएटिविटी को “टाइम वेस्ट” कहा जाता है?
- क्या उसे फेल होने के डर से innovation करने से रोका जा रहा है?
अगर हां तो NCERT की 2023 रिपोर्ट चौंकाने वाला खुलासा करती है: “85% भारतीय school education अभी भी 19वीं सदी के education मॉडल पर चल रहे हैं, जबकि दुनिया 21वीं सदी के स्किल्स की माँग कर रही है। “आप घर पर अपने बच्चों के लिए क्या कर सकते हैं?
1: school education का संकट – क्यों पिछड़ रहें हैं हमलोग?
भारत की school education शिक्षा प्रणाली आज संघर्ष कर रही है, क्योंकि ASER 2024 रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी स्कूलों में केवल 23.4% छात्र कक्षा 3 के छात्र, कक्षा 2 स्तर का पाठ पढ़ने में सक्षम हैं। सार्वजनिक शिक्षा पर व्यय GDP का मात्र 4.6% है, जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 द्वारा निर्धारित 6% लक्ष्य से कम है।
1.भारत में रटने की आदत वाला सिस्टम।
- हार्वर्ड स्टडी के अनुसार भारतीय बच्चे क्रिटिकल थिंकिंग में विश्व के 78 देशों में 73वें स्थान पर है।
- इसकी वजह है सिलेबस का 70% हिस्सा याद करवाने पर जोर दिया जा रहा है।
2.टीचर्स बनाम स्टुडेंट।
- ग्राउंड रियलिटी ये है कि भारत में 1 शिक्षक पर 58 छात्र है जबकि UNESCO मानक 1:30 है। भारत में शिक्षकों की भारी कमी है, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में 1 मिलियन से अधिक रिक्तियाँ हैं, जिसके कारण टीचर-स्टूडेंट अनुपात बहुत अधिक (47:1 तक) है इससे शिक्षण की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में 1,00,000 से अधिक रिक्तियाँ हैं तथा शिक्षकों का एक वर्ग अभी भी अयोग्य और अप्रशिक्षित है। - NCTE डेटा: 65% प्राइमरी टीचर्स को नहीं पता कि एक्टिव लर्निंग क्या होता है।

3. इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी ।
बुनियादी ढाँचे का अंतराल: UDISE+ 2023-24 के आंकड़ों के अनुसार, केवल 43.5% सरकारी स्कूलों में school education के लिये कंप्यूटर हैं, जबकि निजी, गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों में यह आँकड़ा 70.9% है। 90% से अधिक स्कूलों में बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध होने के बावजूद, बुनियादी ढाँचे में कमी बनी हुई है। 1.52 लाख स्कूलों में बिजली की सुविधा नहीं है, 67,000 स्कूलों में शौचालय नहीं हैं, और केवल 33.2% सरकारी स्कूलों में विकलांगों के लिये उपयुक्त शौचालय हैं, जिनमें से अधिकांश कार्यात्मक नहीं हैं।
सुविधा | सरकारी स्कूल | प्राइवेट स्कूल |
---|---|---|
साइंस लैब | 32% | 89% |
लाइब्रेरी | 41% | 96% |
कंप्यूटर | 18% | 100% |
(स्रोत: UDISE+ 2023 – 24 रिपोर्ट)
भाग 2: NEP 2020 – क्रांति ?
1.आपका बच्चा 5 बड़े बदलाव महसूस करेगा।
भारत की school education, NEP, 2020 के तहत चरणबद्ध तरीके से 10+2 प्रारूप से 5+3+3+4 संरचना में परिवर्तित हो रही है।
यह नया मॉडल 3-18 वर्ष की आयु के बच्चों के लिये है, जिसमें प्रारंभिक बचपन की देखभाल और शिक्षा को एकीकृत किया गया है। इसमें शामिल हैं:
आधारभूत चरण (5 वर्ष): 3 वर्ष प्री-स्कूल + कक्षा 1-2
प्रारंभिक चरण (3 वर्ष): कक्षा 3-5
मध्य चरण (3 वर्ष): कक्षा 6-8
माध्यमिक चरण (4 वर्ष): कक्षा 9-12
- 3 भाषा फॉर्मूला: हिंदी + अंग्रेजी + लोकल भाषा ।
- स्किल बेस्ड सब्जेक्ट्स: कोडिंग (कक्षा 6 से), फाइन आर्ट्स (अनिवार्य)
- बैगलेस डे: महीने में 1 दिन प्रकृति/संग्रहालय में पढ़ाई ।
- सेमेस्टर सिस्टम: कक्षा 9 से बोर्ड एग्जाम का दबाव कम करना।
- मल्टीपल इंट्री/एग्जिट: ड्रॉपआउट छात्र फिर से ज्वाइन कर सकते हैं।

2.क्यों रफ्तार धीमी है?
- वित्तीय कमी: NEP को लागू करने के लिए 6.2 लाख करोड़ रुपए चाहिए जबकि वर्तमान बजट: 1.2 लाख करोड़ ही है।
- टीचर ट्रेनिंग: 92% शिक्षकों को नहीं नए पाठ्यक्रम की ट्रेनिंग अभी नहीं मिली है।
भाग 3: शहर के टॉप स्कूल क्या गुप्त तरीके अपनाते हैं?
1 फिनलैंड मॉडल को भारतीय स्कूल ने भी अजमाया है।
-जैसे: दिल्ली का सरकारी स्कूल: जिसने “हैप्पीनेस करिकुलम” योग, माइंडफुलनेस, एथिक्स जैसे चिज़ो को अपनाकर
रिजल्ट: ड्रॉपआउट दर 17% से घटकर 4% दर हो गया है।
2 यहां अच्छे टीचर्स हायर किया जाता है जो वेल ट्रैंड है। यहां आधुनिक शिक्षा से जुड़ी सारी बेहतर सुविधाएं उपलब्ध हैं।
- चेन्नई के स्कूल का नियम: बच्चे खुद प्रोजेक्ट बनाते है क्वेश्चन आंसर करते हैं।
- एक्टिविटी: “गणित की किताब में गलती खोजना जैसे” एक्टिविटी की जाती है।
3 असली दुनिया से जोड़ा जाता है।
असली दुनिया से जोड़ने से मतलब है कि school education वर्तमान समय में जो कुछ इनोवेशन हो रहा है वो स्कूल में ही उपलब्ध कराना। अभी मुंबई के स्कूल का आइडिया लिया गया है। यहां लोकल दुकानदारों को पढ़ाने के लिए आमंत्रित किया जाता है, इसके लिए बजट का भी प्रावधान गया है।
भाग 4: 21वीं सदी के 5 स्किल्स – घर पर कैसे डेवलप करें?
1 क्रिटिकल थिंकिंग।
- सवाल: “क्या रोबोट अच्छे टीचर्स हैं? तर्क दें।”
देखिए रोबोट कभी भी हृमन का जगह नहीं ले सकता है
लेकिन AI को आ जाने से हम इसे मना भी नहीं सकते हैं क्योंकि इसे आने से हमारा काम आसान हो गया है। क्योंकि कोई भी सवाल हो ये हमें उसका हल सेकेंड में करके देता है। लेकिन इसमें एक दिक्कत है कि ये हमारी भावनाओं को नहीं समझता है।
2 इमोशनल इंटेलिजेंस (EQ)।
- “फीलिंग वाॅक्स” – बच्चा रोज एक इमोशन फीलिंग लिखकर वाॅक्स में डालेगा।
- और फिर एक सप्ताह पर उससे चर्चा: आखिर वो भावना क्यों आई वो ?
3 फाइनेंशियल प्लानिंग ।
- प्रैक्टिकल: बच्चों को महीने का 100 रुपये दें, और उससे खर्च का चार्ट बनवाएँ
- गेम: “बिजनेस टाइकून” बोर्ड गेम खेलें
भाग 5: अभिभावकों के लिए एक्शन प्लान।
1. स्कूल चुनते समय ये 3 सवाल जरूर पूछें।
- “क्या बच्चों को अपना टाइमटेबल बनाने की आजादी है?”
- “फेल हुए बच्चे के साथ आप कैसा बर्ताव करते हैं?”
- “हफ्ते में कितने घंटे खेल को दिए जाते हैं?”

2. टीचर्स के साथ पार्टनरशिप।
- सिर्फ PTM में शिकायत करने से बच्चा पर कोई प्रभाव नहीं होगा।
- सही तरीका: हर महीने 1 क्रिएटिव आइडिया ऑफर करें
3. होम लर्निंग एनवायरनमेंट।
- जरूरी चीजें:
- “क्यों?” पूछने की आजादी दिजिए।
- गलतियों को सेलिब्रेट करना भी सिखाएं।
- किताबों के अलावा पत्रिकाएँ/कॉमिक्स रखना भी सिखाएं।
भाग 6: इन 3 school education भ्रम से बचें!
- महंगा स्कूल होने से बेहतर शिक्षा मिलती है।
- सच्चाई: IIT टॉपर्स का 60% गाँव के सरकारी स्कूलों से बढ़कर आयें है।
- “एग्जाम में टॉप करना ही सफलता” है
- आंकड़ा: 90%+ वाले 78% स्टूडेंट्स जॉब इंटरव्यू फेल हो जातें हैं।
- “आर्ट्स/स्पोर्ट्स करने वाले पिछड़ जाते हैं”
-जबकि सच्चाई ये है कि जितना पैकेज स्पोर्ट्स में है शायद किसी में भी नहीं । क्या आपको पता है पी.वी. सिंधु का पैकेज कितना है।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
Q1: सरकारी स्कूल में बच्चे का एडमिशन कराना सही है?
A: हाँ! लेकिन चेक करें: टीचर-स्टूडेंट रेशियो, इंफ्रास्ट्रक्चर, एक्स्ट्रा एक्टिविटीज।
Q2: बच्चा पढ़ाई में कमजोर है लेकिन डांस में अच्छा है। क्या करें?
A: उसकी पैशन को सपोर्ट करें। आज यूट्यूब पर डांस टीचर लाखों का महीना कमा रहे हैं!
Q3: प्राइवेट स्कूल की फीस बहुत ज्यादा है। क्या करूँ?
A: RTE के तहत 25% सीट्स मुफ्त हैं। डिस्ट्रिक्ट एजुकेशन ऑफिसर से संपर्क करें। कुछ छुट मिल सकता है।
Q4: बच्चा स्कूल जाने से डरता है। क्या करें?
A: बुलिंग, टीचर का डर, या पढ़ाई में कमजोरी हो सकती है। काउंसलर से बात करें। बिना कारण जानें नतीजे पर नहीं पहुंचे कारण जानें और उस डर को दूर करें।
निष्कर्ष:
याद रखें, school education जीवन की तैयारी है, परीक्षा की नहीं ! जैसा कि रवींद्रनाथ टैगोर ने कहा है “उच्चतम शिक्षा वह है जो हमें सिर्फ जानकारी नहीं देती, बल्कि हमारे जीवन को विश्व के साथ सामंजस्य में लाती है।”
कमेंट में बताएँ:
- आपके बचपन की school education और आज के सिस्टम में सबसे बड़ा अंतर क्या है?
- आप अपने बच्चे के स्कूल में कौनसा बदलाव चाहेंगे?